चुनाव आयोग की राहुल गांधी को दो टूक : सात दिन में हलफनामा दें या देश से माफी मांगें

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चुनाव आयोग ने आरोपों को तथ्यों के साथ किया खारिज, राजनीतिक दलों के पास एक सितंबर तक का समय

कहा, आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर की जा रही राजनीति जानबूझकर भ्रम फैलाने की हो रही कोशिश

नई दिल्ली। चुनाव आयोग (ईसी) ने रविवार को कांग्रेस नेता व नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उनके वोट चोरी के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वे सात दिन में हलफनामा दें या देश से माफी मांगें। उनकी ओर से लगाए गए आरोपों का आयोग बिना हलफनाने के जवाब नहीं देगा। साथ ही चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में त्रुटियां होना फर्जी मतदान नहीं होता।

दिल्ली के राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में आयोजित पत्रकार वार्ता में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की ओर से लगाए जा रहे आरोपों का जवाब दिया। साथ ही उन्होंने बिहार में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया से जुड़े प्रश्नों पर भी अपना पक्ष रखा। चुनाव आयोग को लेकर राहुल गांधी के आरोपों पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि उन्हें या तो हलफनामा देना होगा या देश से माफी मांगनी होगी। कोई तीसरा विकल्प नहीं है। अगर 7 दिनों के अंदर हलफनामा नहीं मिलता है, तो इसका मतलब है कि ये सभी आरोप बेबुनियाद हैं।

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उन्होंने कहा कि मतदाता सूची को त्रुटि रहित रखना सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। मतदाता सूची में त्रुटियां होना फर्जी मतदान या गलत मतदान की ओर संकेत नहीं करता । मतदाता सूची में त्रुटियों का होना सामान्य है क्योंकि यह विकेंद्रीकृत प्रक्रिया के तहत बहुत बड़े स्तर पर तैयार होती है। इन त्रुटियों की ओर ध्यान कराने की भी एक प्रक्रिया है । मतदान से पूर्व इसे स्थानीय स्तर पर बेहद आसानी से किया जा सकता है। मतदान के बाद नियमों के तहत हलफनामा दिया जा सकता है, जिसकी जांच चुनाव आयोग कर सकता है।

चुनाव आयोग ने कहा कि महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में चुनाव के बाद उसे इस तरह का कोई हलफनामा प्राप्त नहीं हुआ है। राहुल गांधी के आरोपों पर आयोग ने कहा कि केवल एक पीपीटी दिखा देने से आयोग लाखों मतदाताओं को जांच के दायरे में नहीं ला सकता। मतदाता सूची और मतदान अलग चीजें हैं त्रुटि सूची में हो सकती है, लेकिन इससे मतदान की शुचिता प्रभावित नहीं होती। समय रहते आपत्ति दर्ज करने का अधिकार राजनीतिक दलों को दिया गया है, लेकिन समय बीत जाने के बाद आरोप लगाना केवल राजनीति है। हर पात्र को सूची में शामिल करना और अपात्र को हटाना उसकी जिम्मेदारी है।

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बिहार के संबंध में दलों के पास 1 सितंबर तक का समय है। जब आयोग के कंधे पर बंदूक रख कर भारत के मतदाताओं को निशाना बना कर राजनीति की जा रही हो तो आज आयोग स्पष्ट करना चाहता है कि वह निडरता के साथ मतदाताओं के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि जिले के पार्टी कार्यकर्ताओं की आवाज नेताओं तक नहीं पहुंच रही या फिर जानबूझकर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है।

झूठे आरोपों से नहीं डरता आयोग, मतदाता भी नहीं होते प्रभावित
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग के लिए सभी राजनीतिक दल समान हैं, कोई पक्ष या विपक्ष नहीं। आयोग के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं और झूठे आरोपों से आयोग न तो डरता है और न ही मतदाता प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया बिहार में शुरू की गई।

मकान नंबर जीरो का मतलब फर्जी मतदाता नहीं
चुनाव आयोग ने कहा कि मकान नंबर जीरो होने का मतलब फर्जी मतदाता नहीं है। आयोग ने कहा कि देश में ऐसे करोड़ों वोटर्स हैं, जिनके पते में जीरो नंबर है। उन्होंने कहा कि हर पंचायत में मकान नंबर नहीं होता है। उन्होंने कहा कि वोटर बनने के लिए मकान होना जरूरी नहीं होता। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि तमाम वोटर्स हैं जो सड़कों पर सोते हैं। इन सभी के पते में मकान नंबर जीरो ही हैं।

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